Computer Fundamental

 

कंप्यूटर का परिचय

( Introduction of Computer)

कंप्यूटर क्या हैं ? (What is Computer)

            Computer एक Electronic Device है। जो दिए गए निर्देशों के अनुसार परिणाम प्रस्तुत करता है । C.P.U, Monitor, Key Board, Mouse का संयोजन ही Computer कहलाता है। Computer का आविष्कार 19वीं सदी में Charles Babbage द्वारा किया गया था । इन्हें Computer का Father भी कहा जाता है । Computer Word आया है, Compute नाम के शब्द से जिसका मतलब है, गणना करना क्योकि Computer बड़ी-बड़ी गणना (Calculation) आसानी से कर देता है ।

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Full Form of Computer –

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Computer की  विशेषताएं – 

कंप्यूटर पर हम कार्य को सरलता से और  बहुत ही कम समय में कार्य करते है कंप्यूटर पर कार्य  करने के निम्न विशेषताएं है – 

1. Computer एक Electronic Machine है जो हमारे द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार परिणाम प्रस्तुत करता है


2. कंप्यूटर की सहायता से हम देश – विदेश की पूरी जानकरी कुछ ही सेकंड में जान सकते है


3. कंप्यूटर हमारे जीवन का ऐसा हिस्सा जिसके बिना हमारा बहुत सारे कार्य नहीं हो पाते 


4. कंप्यूटर के आने से लोग अपने बहुत सरे कार्य घर पर ही कर लेते है 


5. कंप्यूटर की सहायता से हम अपने कार्य को बहुत ही काम समय में कर सकते है 


6. आज के समय में कंप्यूटर का उपयोग Smart Class के लिए भी किये जा रहे है 


7. कंप्यूटर से आज लोग YouTube या Blogger/Website बनाकर  घर बैठे पैसा कमा रहे है 


8. कंप्यूटर एक मनोरंजन का साधन भी है 


9. कंप्यूटर का उपयोग स्कूल कॉलेज में भी Student को पढ़ाने के लिए किया जा रहा है 


                  Development of Computers
                         (कंप्यूटर का विकास)

The Abacus (एबाकस )
              कम्प्यूटर का विकास क्रम 3000 वर्ष पुराना है। चीन ने सबसे पहले गणना यंत्र अबेकस का आविष्कार किया था। यह एक यांत्रिक डिवाइस है। इस मशीन को एडिंग मशीन कहते थे। क्योंकि यह मशीन केवल जोड़ या घटा सकती थी।


Pascal and the Pascaline Blaise (ब्लेज पास्कल तथा पास्कलाइन)
          17वीं शताब्दी में फ्रांस के गणितज्ञ ब्लेज पास्कल ने एक यांत्रिक अंकीय गणना यंत्र सन् 1645 में विकसित किया था। यह एक यांत्रिक डिवाइस है। इस मशीन को एडिंग मशीन कहते थे। क्योंकि यह मशीन केवल जोड़ या घटा सकती थी।


Jacquard Loom (जेकार्ड्स लूम)
            सन् 1801 में फ्रांसीसी बनुकर जोसेफ ने कपड़े बुनने के ऐसे लूक का आविष्कार किया जाता कपड़ों में स्वतः ही डिजाइन या पैटर्न देता था।


 Charles Babbage’s Difference Engine (चार्ल्स बैबेज का डिफरेंस इंजिन)
                चार्ल्स बैबेज ने सन् 1822 (Golden Year of Computer History) में एक मशीन का निर्माण किया जिसका व्यय ब्रिटिश सरकार ने वहन किया। उस मशीन का नाम डिफरेन्स इंजिन रखा गया। इस मशीन में गियर और शाफ्ट लगे थे। और यह भाप से चलती थी।



Herman Hollerith Census Tabulator (हर्मन होलेरिथ सेंसस टेबुलेटर)
                सन् 1890 में कम्प्यूटर इतिहास में एक और महत्त्वपूर्ण घटना हुई, वह थी अमेरिका का जनगणना का कार्य । सन् 1890 से पूर्व जनगणना का कार्य पारम्परिक तरीकों से किया जाता था।     


Dr. Howard Aiken and The Mark 1 (डॉ. हॉवर्ड आइकेन और मार्क -1)
                सन् 1940 में (Electromechanical Computing) अपने शिखर पर पहुँच चुकी थी। आई बी एम के चार शीर्ष इंजीनियरों व हॉर्ड आईकेन से सन् 1944 में एक मशीन को विकसित किया और इसका अधिकारिक नाम Automatic Sequence Controlled Calculator रखा।


The Atanasoff & Berry Computer (एटानासोफ बेरी कम्प्यूटर)
                    आइकेन और बी एम के मार्क-1 तकनीकी नई इलैक्ट्रॉनिक्स तकनीकी आने से पुराने हो गई थी। नई इलैक्ट्रॉनिक्स तकनीकी में कोई यांत्रिक पुर्जा संचालित करने की आवश्यकता नहीं थी। जबकि मार्क 1 एक विद्युत – मशीन है।


The ENIAC (1943-46)
        इस कम्प्यूटर का पूरा नाम Electronic Numerical Integrator and computer है इसका विकास आर्मी के लिए किया गया था।

The EDVAC (1946-52)
            इस का पूरा नाम Electronic Discrete Variable Automatic Computer था यह पहला डिजिटल कम्प्यूटर था।

The EDSAC (1947-49)
            इस का पूरा नाम था । Electronic Delay storage Automatic Computer यह पहला कम्प्यूटर था जिस पर प्रोग्राम को रन किया गया था।

The UNIVAC (1951)
        इस का पूरा नाम Universal Automatic Computer था। यह पहला डिजिटल कम्प्यूटर था। और यह व्यापार में प्रयोग होने वाला प्रथम कम्प्यूटर था।



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 कम्प्यूटर की पीढ़ियाँ –
प्रथम पीढ़ी (1940-1956)

            कम्प्यूटर की प्रथम पीढ़ी की शुरूआत 1940 से मानी जाती है। इस जनरेशन Vacuum Tube Technology में का प्रयोग किया गया था। इसमें मशीन भाषा का प्रयोग किया गया था। इसमें मेमोरी की तौर पर चुम्बकीय टेप एवं पचकार्ड का प्रयोग किया जाता था। इस पीढ़ी के कुछ कम्प्यूटरों के नाम इस प्रकार है-

            एनियक (ENIAC), एडसैक (EDSAC) एडवैक (EDVAC), यूनीवैक 2 (UNIVAC-2), आईबीएम 701, आईबीएम 650, मार्क-2, मार्क-3, बरोज 2202 (ENIAC)

द्वितीय पीढ़ी (1956-1963)

            द्वितीय पीढ़ी की शुरूआत 1956 से 1963 तक मानी जाती है। इस पीढ़ी में Transistor का प्रयोग किया गया है जिसका विकास William Shockly ने 1947 में किया था। इसमें असेम्बली भाषा का प्रयोग किया गया था। इसमें मेमोरी के तौर पर चुम्बकीय टेप का प्रयोग किया जाने लगा था। इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में आईबीएम 1401 प्रमुख हैं, जो बहुत ही लोकप्रिय एंव बड़े पैमाने पर उत्पादित किया गया था।

            इस पीढ़ी के अन्य कम्प्यूटर थे IBM 1602. IBM-7094, CDS-3600, – RCA 501 यूनिवेक 1107 आदि

तीसरी पीढ़ी (1964-1971)

                कम्प्यूटर की तीसरी पीढ़ी की शुरूआत 1964 से मानी जाती है। इस जनरेशन में आई सी का प्रयोग किया जाने लगा था IC का पूरा नाम Integrated Circuit है। IC का विकास 1958 में Jack Kilby ने किया था। इसमें IC Technology (SSI) का प्रयोग किया गया था। SSI पूरा नाम Small Scale Integration है। इसमें हाई लेविल भाषा का प्रयोग प्रोग्रामिंग के लिए किया जाता है। इसमें मेमोरी के तौर पर चुम्बकीय डिस्क का प्रयोग किया जाने लगा था। इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों की मदद से मल्टीप्रोग्रामिंग (Multi Programme) एवं मल्टी प्रोसेसिंग (Multi Processing) सम्भव हो गया । इस पीढ़ी के मुख्य कम्प्यूटर थे 1BM-360. IBM-370 (Series), ICL- 1900 एवं (Series), बरोज 5700 6700 तथा 7700 (Series). – (CDC-3000-6000) तथा (Series) यूनिवेक 9000 श्रृंखला, हनीवेल – 6000 तथा 200 PDP 11/45 आदि।

चौथी पीढ़ी (1971-1989)

                कम्प्यूटर की चौथी पीढ़ी की शुरूआत 1971 से 1989 तक मानी जाती है। इस जनरेशन IC की यह तकनीकी VLSI थी इसका पूरा नाम Very Large- Scale Integration हैं। इसमें हाई लेवल भाषा का प्रयोग प्रोग्रामिंग के लिए किया जाता है। इसमें केवल एक सिलिकॉन चिप पर कम्प्यूटर के सभी एकीकृत परिपथ को लगाया जाता है, जिस माइक्रोप्रोसेसर कहा जाता है। इस चिपों का प्रयोग करने वाले कम्प्यूटरों को माइक्रो कम्प्यूटर (Micro Computer) कहा जाता है।

पाँचवीं पीढ़ी

                कम्प्यूटर की पाँचवी पीढ़ी की शुरूआत 1989 से मानी जाती है। इस जनरेशन में आईसी की आधुनिक तकनीकी का प्रयोग किया जाने लगया था। IC की यह तकनीकी ULSI थी इसका पूरा नाम Ultra Large Scale Integration है।

            इसमें हाई लेवल भाषा का प्रयोग प्रोग्रामिंग के लिए किया जाता है। जो अधिक सरल है। इस भाषाओं में GUI Interface का प्रयोग किया जाता है।

Input Device & Output device – 

Input Device – 

                Input Device एक ऐसा उपकार है जो कंप्यूटर को निर्देश (Command) देता है Keyboard, Mouse, Scanner, माइक्रोफोन ये सारे devices  इसके कुछ उदाहरण है I
 


Input Device – Input Device एक ऐसा उपकार है जो कंप्यूटर को निर्देश (Command) देता है Keyboard, Mouse, Scanner, माइक्रोफोन ये सारे devices  इसके कुछ उदाहरण है I 
Output device – Output device वह होता है जो इनपुट डिवाइस के द्वारा दिए गए निर्देश को प्रोसेसिंग करता है I Printer, Moniter, Multimedia Sound Box इसके कुछ उदहारण है I 


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Computer के क्षेत्र – Computer के मुख्य दो क्षेत्र होते है 

1. Hardware 
2. Software

1. Hardware –  
                Computer का वह भाग जिसे हम छू सकते है महसूस कर सकते है, Hardware कहलाता है I
जैसे – C.P.U. KEYBOARD, MOUSE, MONITER




2. Software – 
               Computer में हम जो भी कार्य करते है, Computer हमारे लिए कार्य हेतु तैयार होता है तो वह सब सॉफ्टवेयरो का ही कार्य होता है I


जैसे – Operating System, Application Software


ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) :- ऑपरेटिंग सिस्टम को यदि हम आसानी से समझना चाहे तो यह कह सकते हैं। कि हमारे शरीर में जो महत्व आत्मा का हैं कम्प्यूटर में भी वही महत्व ऑपरेटिंग सिस्टम का हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम की वजह से ही कोई भी ऑपरेटर कम्प्यूटर में कार्य करने में सक्षम होता हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर को ऑन करने के पश्चात् उस स्थिति में लाता हैं जहाँ से हम उस पर कार्य कर सकते हैं और डेटा को इनपुट तथा आउटपुट कर सकते है। यह कम्प्यूटर की सभी गतिविधियों को दिशा निर्देश देता हैं तथा उन पर अपना नियंत्रण बनाए रखता हैं।


Types of Operating System :-



MS DOS             :-  Microsoft Disk Operating System

Window-95         :-  MS. First true multi tasking

Window-NT        :-  MS. Network Station   
   
Window-98        :-  Up grate to Windows95

Window-2000    :-  Up grate to Windows NT

Window-ME.      :-  Up grate to Windows 98 

Window-XP        :-  MS most powerful O.S.
  
Window-2003    :-  win-XP environment O.S.  
      
Window-Vista    :-  MS most powerful O.S.   DVD

Operating System
Application Software


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कम्प्यूटर के मुख्य भागों का वर्णन:-

1.सी.पी.यू. (C.P.U.) :- इसका पूरा नाम सेंन्ट्रल प्रोसंसिंग यूनिट होता हैं। यह कम्प्यूटर का ब्रेन होता हैं। कम्प्यूटर की सभी डिवाइसे इसी से जुड़ी होती हैं। सी.पी.यू में ही सभी मुख्य तत्व जैसे फ्लॉपी, सीडी रोम, हार्डडिस्क, प्रोसेसर, मेमोरी आदि लगे होते हैं।


2- मॉनीटर(Monitor) :- देखने में घरेलू टेलीविजन जैसा यह उपकरण कम्प्यूटर में भेजे जा रहे और उसके द्वारा दर्षाए जा रहे समस्त संदेषों या रिपोर्टो को हमें स्क्रीन पर दिखलाता हैं। मॉनीटरों को कई भागों में बाटा गया हैं जैसे:-  CRT, LCD, TFT LED  आदि।

3. की-बोर्ड (Key Board) :- की-बोर्ड एक टाइपराइटर की तरह यंत्र होता हैं जिसे आप चित्र में देख रहे हैं। आजकल के नॉरमल की-बोर्ड में 105 की होती हैं। की-बोर्ड तीन प्रकार के होते हैं नॉरमल की-बोर्ड, मेकेनिकल की-बोर्ड, मेंम्बरेन की-बोर्ड तथा पिनों  के हिसाब से की-बोर्ड 5 पिन नॉरमल की-बोर्ड, 6 पिन PS2 की-बोर्ड, USB की-बोर्ड वायरलेस की-बोर्ड होते हैं। 
.माउस (Mouse) :- माउस एक चूहे की तरह छोटा सा यंत्र होता हैं। जो एक तार के द्वारा सी.पी.यू. से जुड़ा रहता हैं। माउस दो तरह के होते हैं बॉल वाले नॉरमल माउस तथा लेजर वाले ऑपटिकल माउस इन्हें जिस दिषा में सरकाया जाये उसी दिषा में मॉनिटर में भी आगे बढ़ते हैं।





5-स्पीकर(Speaker):- वर्तमान समय में सभी कम्प्यूटर मल्टीमीडिया कम्प्यूटर हैं। इसलिए स्पीकरों का प्रयोग सबके साथ होता हैं। कम्प्यूटर में स्पीकर को सी .पी .यू .में लगें साउण्ड कार्ड के एक जैक से जोड़ते हैं। जहाँ से हमें आवाज सुनाई पड़ती हैं।


6-स्कैनर(Scanner) :- स्कैनर भी अनिवार्य भागों की श्रेणी में आता हैं इसे हम जरूरत पड़ने पर अलग से जोड़ सकते हैं। स्कैनर के द्वारा हम किसी भी दस्तावेजों को फोटो के रूप में कम्प्यूटर पर स्केन कर सकते है।


7-वेब कैमरा (Web Camera) :- आजकल इंटरनेट का चलन बढ़ता जा रहा हैं, जिससे नई-नई ऐसेसरीज बाजार में आ रही हैं। इस कैमरे से आप फिल्म इनपुट करने से लेकर दूर बैठे व्यक्ति से इस तरह से बात कर सकते हैं जैसे आप आमने सामने बैठें हों। इसे भी सी.पी.यू. में USB पोर्ट में लगाते हैं।



8-प्रिंटर(Printer) :- प्रिंटर एक आउटपुट उपकरण हैं। हम कम्प्यूटर में स्टोर सूचनाओं को प्रिंटर के द्वारा ही कागज पर स्टोर करके देख सकते हैं। मुख्य रूप से तीन प्रकार के प्रिंटर होते हैं।

I.  डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर (DMP) : इस प्रिंटर का उपयोग एकाउंटिंग के कार्यों में तथा बिल एवं टिकट बनाने के कार्यों में होता हैं। तथा इस प्रिंटर की छपाई अच्छी नहीं होती।


II. इंकजेट प्रिंटर:- यह रंगीन एवं ब्लैक एवं व्हाइट दोनों तरह की छपाई कर सकता हैं लेकिन इस प्रिंटर की गति बहुत कम होती हैं। इस कारण इसका उपयोग कम होता हैं।




III.  लेजर प्रिंटर:- यह भी दोनों तरह के रंगों की छपाई करता हैं और इस प्रिंटर की छपाई की क्वालिटी सबसे अच्छी होती हैं। पर ये बहुत महंगें होते हैं। इनका उपयोग व्यावसायिक कार्यों में अधिक होता हैं।
9- डी.वी.डी राइटर (DVD-Writer) :- इसे दो रूपों में इस्तेमाल कर सकते हैं। बहुत से लोग सीडी राइटर को सी.पी.यू. में स्थाई रूप में लगा देते हैं। और इसके द्वारा सीडी राइट करने से लेकर पढ़ने तथा लोड करने का कार्य करते है। इसे सी.पी.यू. में चार पिन का पावर कनेक्टर तथा चालिस पिन का आई डी ई कनेक्टर से कनेक्ट करते हैं।

10- हार्ड डिस्क (HDD) :-
                     हार्ड डिस्क सी.पी.यू. के अंतर्गत लगी डेटा स्टोर करने की एक डिवाइस होती हैं। जोकि चौकोर और करीब एक इंच मोटे डिब्बे की तरह दिखाई देती हैं। इसे सी.पी.यू. मे चार पिन का पावर कनेक्टर तथा चालिस पिन का आई डी ई कनेक्टर से कनेक्ट करते हैं।

11- मेमोरी (Memory) :- कम्प्यूटर में दो तरह की मेमोरी होती हैं प्राइमरी तथा सेकेण्डरी मेमारी कहते हैं।


Primary Memory – 

RAM (Random Access Memory )


ROM ( Read Only Memory )


PROM ( Programmable Read Only Memory) 


EPROM (Erasable Programmable Read Only Memory)


EEPROM (Electrically Erasable Programmable Read Only Memory)

Secondary Memory – 
            Magnetic Disk
            Hard Disk
            DVD ROM


12-  कम्प्यूटर यूनिट (Computer Unit) :- जब हम कम्प्यूटर में डेटा इनपुट करते हैं। तो वह मेमोरी में जगह घेरता हैं इस जगह को मापने के लिये यूनिट का इस्तेमाल करते हैं कम्प्यूटर में सबसे छोटी इकाई बिट होती हैं।


नोट :- यदि दो अक्षरों के बीच खाली जगह हैं तो वह भी एक बाइट जगह घेरेगी।


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Keyboard Keys की जानकारी —

अगर हम Desktop या Laptop में किसी भी Application पर कार्य करते है तो हमारे लिए यह भी जरुरी होता है की Keyboard का कौन – सा Key क्या कार्य करता है, Keyboard की सहायता से हम Computer पर बिना Mouse के उपयोग के बहुत सारे कार्य भी Shortcut Key के मदद से करते है।  Depend करता है की किस Application पर Application Developer ने कौन – सा Shortcut Key बनाया है।  इस पेज में आप जानेंगे Keyboard Keys की जानकारी –




1. Type Writer Key : –  ये Keys सामान्य अंग्रेजी Type Writer के Key Board के सामान होती है। इन पर अक्षर, संख्याएँ व कुछ अन्य संकेत लिखे होते है।  जिनसे Computer में Matter Application व Command Type कर सकते है।


2. Enter Key : –  दिये गये निर्देशों की समाप्ति पर इस Key का प्रयोग किया जाता है।  Command Type करके Enter Key Press करने से Command का क्रियांवयन शुरू हो जाता है।  Word Processing Software में जमीं Line शुरू करने के लिए भी इस Key का प्रयोग किया जाता है।


3. Function keys : – ये F1 से  F12 तक Key Board के ऊपरी भाग में होते है। इनका प्रयोग  कुछ विशेष कार्यो के लिए किया जाता है।  इनका प्रयोग लगभग सभी Software में इसका अलग – अलग कार्य हो सकता है।

4. Cursor Control Key  : – ये 8 Key होती है।  Cursor को ऊपर – नीचे या दाए  – बायें ले जाने  लिए (एरो) Key होता है।  तथा Page up, Page down, Home, End, ये चार और अन्य Key  होते है ये क्रमशः Cursor को पृष्ट के ऊपर तथा पृष्ट को नीचे Line या Document के शुरू तथा अंत में ले जाने के लिए प्रयोग में लाये जाते है।

 5. Text Editing Keys : – ये 3 Key होती है। Delete Key या  Back Space गलत  Type किये गए अक्षरों को मिटाने के काम आता है। Insert Key का प्रयोग Word Processing Software में किसी शब्द या Line का  Insert कार्य के लिए किया जाता है।


6. Numerical  Key : – यह Key, Key Board के दायी ओर स्थित होती है।  इनमे से कुछ Key का कार्य दोहरा  होता है जब  Num Lock Key  दबी होती है। तो ये अंक ही Type करते है।  और यदि Num Lock Key नहीं दबी है।  तो यह Cursor Control Key तथा Text Editing का कार्य करती है। जब  Num Lock Key  दबी होती है। तो Key के  ऊपर दायी ओर स्थित तीन लाइटों में से पहली लाइट जल जाती है।

7. Caps Lock Key : – जब अक्षर Capital Letter में  Type करना होता है तो Caps Lock Key को दबाकर अक्षर Type किया जाता है। जब Caps Lock Key दबी होती है, तो Key Board के ऊपर स्थित तीन लाइटों में से दूसरी लाइट जल जाती है। जब हमें सामान्य Small Letter Type करना होता है। तो इस Key को दोबारा Press करते है इससे जल रहीं लाईट बंद हो जाती है।  तथा अक्षर Small Letter में प्राप्त होना आरम्भ हो जाता है।
8. Shift Key : – Key Board की प्रत्येक Key पर ऊपर व नीचे की ओर में संकेत लिखे होते है यदि हमें ऊपर लिखे अक्षरों को प्राप्त करना है तो Shift Key दबाकर Type करते है।  यदि Caps Lock Key On है और Shift Key दबाकर अक्षर Type करते है। तो अक्षर हमें Small Latter में प्राप्त होता है।
9. Ctrl Key And Alt Key : – इस Key का प्रयोग कुछ विशेष कार्यो के लिए किया जाता है।  इस Key के प्रयोग से हम Computer को Short रूप में Command दे  सकते है।  इसका प्रयोग लगभग सभी Software में किया जाता है। तथा अलग – अलग  Software में इसका अलग – अलग काम हो सकता है।
10. Esc Key : – इस Key के प्रयोग से हमारे द्वारा दिये गये Command या निर्देश निरस्त हो जाता है। Accounting Software तथा Game में किसी स्थान से बाहर निकलने के लिये भी इसका प्रयोग किया जाता है।
11. Tab Key : – इस Key को दबाने से Cursor पहले से निर्धारित बिन्दु पर पहुँच जाता है।  सामान्यतः Computer पहले से निर्धारित बिंदु आधा इंच का होता है।  Word Processing Software में इसका प्रयोग विकल्प परिवर्तन के लिये भी किया जाता है। 
12. Pause Break Key : – इस Key का प्रयोग Computer को दिये गये निर्देश से प्राप्त परिणाम को रोकने के लिए किया जाता है।  जब हम अगला परिणाम लेने के लिए तैयार हो। जो किसी भी अन्य Key को Press करने से Pause Break हट जाता है।
13.Print Screen Key : – इस Key को Press करने से Computer के Monitor Screen पर  दिखाई दे रहे जानकारी का Screen Sort ले सकते है और उसे Paint Application  या किसी अन्य Application Software पर उसे Paste  कर सकते है। जिससे Screen पर दिख रहे जानकारी का एक Image या Picture उस Application पर दिखाई देता है। 

14. Space Key : – यह Key, Key Board की सबसे बड़ी Key होती है।  इसका प्रयोग दो शब्दों के बीच में Space देने के लिये किया जाता है।
15. Scroll Lock Key :– इस  Key का प्रयोग किसी भी प्रांतीय भाषा के Software को  चलाने के लिये किया जाता है। जब हमें किसी प्रांतीय भाषा में Type करना हो, तो उसके Software को खोलकर इस Key को Press करने से हम Computer में उस प्रांतीय भाषा में Type कर सकते है। इस Key को Press करने से Key Board के ऊपर स्थित तीन लाइटों में से तीसरी लाईट जल जाती है।
16. Windows Key :- इस Key के प्रयोग से चाहे हम किसी भी Software में काम कर रहे हो, Start Manu Open हो जाता है।  जहाँ से हम नये Program पर कार्य कर सकते है। 

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