व्यापार या व्यापार का स्वामी

आओ कुछ जाने –
व्यापार या व्यापार  के स्वामी के बारे में 

proprietor the Firm – (व्यापर का स्वामी ) 
व्यापर का स्वामी एक या एक से अधिक भी हो सकता है, क्योकि व्यापार दो तरह का होता है –
1. Proprietorship Business (एकल व्यापार )

2. Partnership Business ( साझेदारी व्यापार )

proprietor the Firm – (व्यापर का स्वामी ) 

व्यापर का स्वामी एक या एक से अधिक भी हो सकता है, क्योकि व्यापार दो तरह का होता है –
1. Proprietorship Business (एकल व्यापार )
2. Partnership Business ( साझेदारी व्यापार )
अगर व्यापार का स्वामी अकेले किसी व्यापार को चलाता है तो उसे एकल व्यापार कहते है और अगर व्यापार को दो या दो अधिक लोगो के द्वारा चलाया जाता है तो उसे साझेदारी व्यापार कहते है I

Capital = पूंजी 
व्यापार का स्वामी व्यापार प्रारम्भ करते समय जो रोकड़, संपत्ति या स्टॉक बिजनेस में लगाता है I उसे हम पूंजी कहेंगे व्यापार का स्वामी व्यापार के बीच में भी पूंजी लगा सकता है, व्यापार का स्वामी का एक अलग अस्तित्व होता है I जबकि पूंजी व्यापार के लिए दायित्व होता है, हम ऐसा मानकर चलेंगे की जो पूंजी व्यापार के स्वामी ने लगाई है वह हमे वापस करना है I 
अथवा 
उदहारण के लिए अगर हम किसी से कर्ज लेते है तो हमारा दायित्व उस कर्ज को अदा करना होता है, उसी तरह व्यापार के स्वामी द्वारा जो पूंजी लगाया जाता है वह व्यापार के लिए दायित्व होता है, अतः हम ऐसे मानकर चलेंगे की जो पूंजी व्यापार के स्वामी ने लगाई है वह हमें वापस करना है, अगर व्यापार के स्वामी द्वारा व्यक्तिगत उपयोग के लिए रोकड़ या मॉल अपने व्यापार से निकलता है तो उसे आहरण करना कहते है अर्थात व्यापार के स्वामी ने जो पूंजी लगाया है उससे आहरण की गई राशि को उसके पूंजी से घटाकर दिया जाता है I

Assets (संपत्तियां)
सम्पतियाँ दो प्रकार की होती है –
1. चल संपत्ति
2. अचल संपत्ति
व्यापर में उपयोग होने वाले रोकड़, भवन, भूमि, फर्नीचर, विविध, देवदार, सभी सम्पत्तियाँ कहलाती है I

Liabilities ( दायित्व) 
व्यापर चलाने के लिए लिया गया ऋण, पूंजी, विविध लेनदार सभी दायित्व कहलाते है I

Purchase (क्रय) 
लाभ कमाने के उद्देश्य से किया गया क्रय, क्रय कहलाता है I

Sales (विक्रय) 
लाभ कमाने के उद्देश्य से किया गया मॉल का विक्रय, विक्रय कहलाता है I

Expenses (खर्च)
व्यापर चलाने के लिए किये गए व्यय को हम खर्चो में शामिल करते है I
जैसे – विज्ञापन व्यय, टेलीफोन का बिल, वेतन, बिजली का बिल, पेट्रोल, भवन किराया आदि I

Income( आय )
व्यापार से प्राप्त आय, आय कहलाता है I
जैसे – प्राप्त कमीशन, ट्यूशन फीस, बैंक से प्राप्त ब्याज I 

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