आओ जाने टैली क्या है ?
टैली का परिचय
Tally एक Accounting Software है I जिसका उपयोग कोई भी व्यापारी अपने व्यापार के लेनदेन के लिए करता है I इस Tally Software की सहायता से कोई भी व्यापारी अपना लेनदेन आसानी से देख सकता है, इसमें किसी भी रिपोर्ट की जानकारी जैसे – लाभ – हानि खाता, कुल क्रय, कुल विक्रय, रोकड़ की जानकारी, बैंक खाता की जानकारी, स्टॉक की जानकारी संपत्ति की जानकारी आदि सभी रिपोर्ट इस सॉफ्टवेयर की सहायता से प्राप्त होती है I आज इस कंप्यूटर युग में समय को देखते हुए यह कह सकते है की पहले जो कार्य एक बहीखाता में करते थे जिसमे हमको पहले पंजीय प्रविष्टि, खतौनी, तुलन पत्र, लाभ – हानि खाता, व् चिटठा आदि बनाना पड़ता था, वह कार्य आज हम Computer में Tally Software की सहायता से करते है, Tally Software चलाने में बहुत ही आसान है, बस हमें Computer की कुछ Basic जानकारी पता होनी चाहिए I Tally Software को व्यापारिक क्षेत्र के आलावा स्कूल, कॉलेज, शासकीय कार्यालय, अशासकीय कार्यालय आदि सभी जगह उपयोग में लाया जाता है I
इस Tally Software को एक भारतीय कंपनी Tally Solution ने Develop (विकसित) किया है, जिसके जनक माननीय श्री भरत गोयका जी के द्वारा सन 1988 में इस Software का पहला Version Tally 4.5 लॉन्च किया था, इस software का उपयोग हमारे भारत देश के अलावा अन्य कई देशो में भी किया जाता है I
टैली में हम Daily Accounts, MIS reports, Tax Filling, Interest Calculation, Cost Accounting, Profit & Loss A/c, Trial Balance, Balance Sheet and other related reports निकालना आदि कार्य कर सकते हैं
कंप्यूटर एकाउंटिंग के लिए कई प्रकार के एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग होता है, लेकिन ज्यादातर व्यवसायियों की पहली पसंद Tally है, इसके निम्निलिखित कई कारण है –
कंप्यूटर एकाउंटिंग के लिए कई प्रकार के एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग होता है, लेकिन ज्यादातर व्यवसायियों की पहली पसंद Tally है, इसके निम्निलिखित कई कारण है –
- Tally बहुत ही सरल Software है
- इसके लिए Computer का जयादा ज्ञान होना भी आवश्यक नहीं है, Computer की Basic जानकारी ही कॉफी है
- यहाँ तक के एकाउंटिंग का ज्ञान भी काम होने पर व्यवसायी Tally सॉफ्टवेयर का उपयोग सरलता से कर लेते है
- Tally का Software सरलता से उपलब्ध हो जाता है
- जरुरत पड़ने पर Tally के Operator भी उपलब्ध हो जाते है
- Tally किसी भी Configuration के Computer में Install हो जाता है
- Tally Company द्वारा इसका Updation भी समय समय पर किया जाता है
Tally के सफर में विभिन्न वर्जनों की जानकारी –
Tally 4.5- यह MS DOS based software था इसमें कुछ सामान्य अकॉउंटिंग कार्य जैसे – Voucher entry, ledger entry, General Accounting Reports, Bill wise analysis आदि किये जा सकते थे I
Tally 5.0- यह Windows आधारित Software था इसमें Inventory Management को जोड़ा गया था जिससे टैली में Inventory entries (Stock item related entries) कर पाना संभव हो पाया I
Tally 5.4- इसमें Data Import करने की सुविधा दी गई इससे पुराना एवं कहीं और रखे गए डेटा को migrate करना संभव हो सका I
Tally 6.3- यह एक integrated business system software था इसमें ODBC (Open Data Base Connectivity) द्वारा दूसरे systems से data interchange किया जा सकता हैं जिससे financial records, e-mail, upload आदि शेयर करना भी संभव हो सका I
Tally 7.2- यह एक Integrated enterprise solution था इसमें TDS, TCS and Service Tax आदि को भी शामिल किया गया हालांकि टैली कंपनी ने काफी पहले बंद कर दिया, लेकिन यह अभी भी मार्केट में काफी प्रयोग किया जाता हैं जिसका एक कारण इसके पाइरेटेड वर्जन का उपलब्ध होना है I
Tally 8.1- यह एक बहुभाषी software था I
Tally 9.0- यह लगभग 13 भाषाओ में काम कर सकती थी इसमें Payroll को जोड़ा गया I
Tally. ERP 9- यह टैली का सबसे उन्नत एवं नवीनतम मॉडल हैं ERP (Enterprise Resource Planning) single एवं multi user version दोनों में उपलब्ध हैं Single user version सिर्फ एक ही system में प्रयोग किया जा सकता हैं जबकि multiuser version IP Address/ LAN or Tally. NET ID के मदद से अनेको Computer में प्रयोग किया जा सकता हैं ERP के बाद टैली series and release के माध्यम से upgrade होती हैं Latest Serics A हैं यहाँ आप रिलीज 6.6 के बारे में पढ़ेंगे I
अकॉउंटिंग सॉफ्टवेयर क्या होता है?
इसका प्रयोग क्यों किया जाता हैं?
Accounting कार्य में मुख्य रूप से 5 चरण होते हैंI
अर्थात
किसी भी Accounting Entry को निम्न 5 चरण पूरे करने होते हैं I
जर्नल (Journal )
लेजर ( Ledger )
तुलन पत्र (Trial Balance)
लाभ-हानि खाता ( Profit & Loss A/c )
चिटठा (Balance Sheet )
चिटठा (Balance Sheet )
अभी तक आपने Tally की परिभाषा एवं Tally के विभिन्न Version के बारे में जाना –
अब हम Tally में आगे बढ़ने से पहले कुछ बेसिक जानकारी जान लेते है जो आपके लिए बहुत जरुरी है I
अगर आप Commerce Background से है तो Tally आप बहुत आसानी से समझ पाएंगे क्योकि Debit Credit क्या है यह पता होता है I
लेकिन अगर आप Without Commerce Background से है तो भी आप आसानी से समझ पाएंगे इसके लिए हम कुछ बेसिक जानकारी जान लेते है जो आपके लिए बहुत जरुरी है –
proprietor the Firm – (व्यापर का स्वामी )
व्यापर का स्वामी एक या एक से अधिक भी हो सकता है, क्योकि व्यापार दो तरह का होता है –
1. Proprietorship Business (एकल व्यापार )
2. Partnership Business ( साझेदारी व्यापार )
अगर व्यापार का स्वामी अकेले किसी व्यापार को चलाता है तो उसे एकल व्यापार कहते है और अगर व्यापार को दो या दो अधिक लोगो के द्वारा चलाया जाता है तो उसे साझेदारी व्यापार कहते है I
Capital = पूंजी
व्यापार का स्वामी व्यापार प्रारम्भ करते समय जो रोकड़, संपत्ति या स्टॉक बिजनेस में लगाता है I उसे हम पूंजी कहेंगे व्यापार का स्वामी व्यापार के बीच में भी पूंजी लगा सकता है, व्यापार का स्वामी का एक अलग अस्तित्व होता है I जबकि पूंजी व्यापार के लिए दायित्व होता है, हम ऐसा मानकर चलेंगे की जो पूंजी व्यापार के स्वामी ने लगाई है वह हमे वापस करना है I
अथवा
उदहारण के लिए अगर हम किसी से कर्ज लेते है तो हमारा दायित्व उस कर्ज को अदा करना होता है, उसी तरह व्यापार के स्वामी द्वारा जो पूंजी लगाया जाता है वह व्यापार के लिए दायित्व होता है, अतः हम ऐसे मानकर चलेंगे की जो पूंजी व्यापार के स्वामी ने लगाई है वह हमें वापस करना है, अगर व्यापार के स्वामी द्वारा व्यक्तिगत उपयोग के लिए रोकड़ या मॉल अपने व्यापार से निकलता है तो उसे आहरण करना कहते है अर्थात व्यापार के स्वामी ने जो पूंजी लगाया है उससे आहरण की गई राशि को उसके पूंजी से घटाकर दिया जाता है I
Assets (संपत्तियां)
सम्पतियाँ दो प्रकार की होती है –
1. चल संपत्ति
1. चल संपत्ति
2. अचल संपत्ति
व्यापर में उपयोग होने वाले रोकड़, भवन, भूमि, फर्नीचर, विविध, देवदार, सभी सम्पत्तियाँ कहलाती है I
Liabilities ( दायित्व)
व्यापर चलाने के लिए लिया गया ऋण, पूंजी, विविध लेनदार सभी दायित्व कहलाते है I
Purchase (क्रय)
लाभ कमाने के उद्देश्य से किया गया क्रय, क्रय कहलाता है I
Sales (विक्रय)
लाभ कमाने के उद्देश्य से किया गया मॉल का विक्रय, विक्रय कहलाता है I
Expenses (खर्च)
व्यापर चलाने के लिए किये गए व्यय को हम खर्चो में शामिल करते है I
जैसे – विज्ञापन व्यय, टेलीफोन का बिल, वेतन, बिजली का बिल, पेट्रोल, भवन किराया आदि I
Income( आय )
व्यापार से प्राप्त आय, आय कहलाता है I
जैसे – प्राप्त कमीशन, ट्यूशन फीस, बैंक से प्राप्त ब्याज I